मिडिया आज कल सबसे बड़ा खुलासा करने लगी है। ऐसा खुलासा जो एक्सकुलिसिव होती है। दशZक देखने के लिए ललायित होते है पर खुलासा क्या होतेा है तो इंकम टेक्स की रिर्पोट का हवाल देते हुए आधे घंटे का खुलास किया जाता है। बताया जाता है कि कैसे मोदी आईपीएल के सटटेवाजी में संलिप्त है। रिर्पोट इंकमटेक्स का और खुलासा मिडिया का। कितना कमीनापन है। मिडिया की अपनी कोई औकात नहीं होती क्या। खुलास तभी होती है जब पुलिस या कोई सरकारी तन्त्र की कोई रिपोर्ट आती है। ललीत मोदी प्रकरण पर आज से पहले मिडिया मोदी का गुणगान करते नहीं थकती थी। आइपीएल को देश की सबसे बड़ी उपल्बधी बताते थे, आज क्या हुआ। आज इसमें थरूर,ंशरद पवार और पटेल को जोड़ा जा रहा है कल कहां थे। मिडिया को खोजी कहा जाता था तो आज दूसरे की खोज पर वाहवाही क्यों लूटतें है। खुलासा ही करना था तो आज से पहले क्यों नहीं किया। सारे मामलों में मिडिया कहीं न कहीं से संचालित होती नज़र आती है। आईपीएल का मामला हो या सानीया की शादी का या फिर इच्छाधारी बाबा का, मिडिया के पास दिखाने के लिए कुछ नहीं होता बस तथ्यों को तोड़ जोड़ कर समाचार बनाए जा रहे है और आम आदमी के सारोकार की बातें गौन होती जा रही हैंं। कल जिसका गुणगान करते नहीं अघाते थे आज उसकी की बखीया उघेड़ रहें है तो क्या इसमें मिडिया की विश्वसनियता पर सवाल नहीं उठता। आज भी चैनलों पर बाबाओं का प्रवचन ऐसे चलता है जैसे वही भगवान हो। कई विशेषणों के साथ उनका फलैश किया जाता है, क्या इन बाबाओं की जांच होती है। कल यदि यही किसी काण्ड में फंसते है तो वह चैनग गुंनहगार नहीं पर यहां तो चलन सदियों से है कि उंगली सदैव दूसरों की ओर ही उठानी है भले ही उसी समस कुछ उंगली अपनी ओर भी होती है।
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