20 नवंबर 2010

एक्जिट पोल का पोल खोल .

न्यूज चैनलों में जब एंकर बुलंद आवाज मंे यह दाबा करतें हैं कि मेरे चैनल का सर्वे सबसे विष्वसनीय और भरोसे के लायक है तब मन घृणा से भर जाता है। घृणा से भरे हुए मन में बार बार यह सवाल आता है कि आखिर यह सर्वो होता कहां है। कुछ कंपनियों के सर्वो को मैंन भी जानता हूं और यह भी देखा है की किस तरह सर्वे हुआ।

आइए देखें सर्वे का हाल। चुनाव के दो दिन पुर्व मेरे मित्र स्टींगरों को एक विधान सभा क्षेत्र में पांच लड़कांे को रखने की खबर आती है और प्रत्येक लड़कों को 10 बुथ पर जाकर वोटरों से किसको वोट दिया सरीखे कई सवाल करने थे। इस काम के एवज मे प्रत्येक लड़कों को 250 रू. मिलने थे। अब मेरे मित्र ने क्या किया। अपने 10 परिचितों का मोबाइल नंबर संस्था को दे दिया और चुनाव के दिन संस्था के द्वारा पूछे जाने पर मनगढ़त जबाब दे दिया गया साथ ही सर्वंे के लिए मिले प्रफॉर्मा को भी बैठ-बैठे भर दिया गया और ऐसा एक जिले में नहीं हमारे आसपास के कई जिलों में किया गया और सर्वो के लिए रिर्पोटरों को मिलने वाली राषि गटक नारायण। यही है सर्वे और यही है एक्जिट पोल।

एक चैनल पर जब चीख चीख कर यह कहा जा रहा था की बिहार में फैले मेरे हजारों रिर्पोटरों ने इस सर्वे के काम को इमानदारी से अंजाम दिया है तो मेरे एक मित्र रिर्पोटर पूछ रहे थे कि यार मैं बिहार में नहीं हूं क्या। फिर जब मुझकों इसकी कोई खबर नही ंतो अन्य का भी यही हाल होगा।

एक्जिट पोल का यही हाल है। आज उसी कंपनी का एक्जिट पोल आया हुआ था और चैनल सबसे  सटीक होने का दाबा कर रही थी भला बताईए यह कैसे सटीक होगा..........









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