22 मार्च 2012

यह मीडिया तोड़ती मरोड़ती कैसे हे जी उर्फ मैंने ऐसा तो नहीं कहा था...


अरूण साथी (व्यंग्य)

जब-तब, जहां-तहां मीडिया में बयान देने के बाद जब गर्दन फंसती है तो टका सा जबाब होता है मीडिया ने तोड़ मरोड़ कर बयान को पेश कर दिया, मैंने ऐसा तो नहीं कहा था। अब कस्बे के मोहनजी चाय दुकान पर भी चुस्कीया संसद में इसी मुददे पर गर्मा गरम बहस हो रही थी। बहस में भाग लेते हुए मैने भी कुछ फेंक दिया-भैया अब जब श्रीश्री ने यह आरोप लगा दिया है कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया तो यह बात पक्की हो गई कि मीडिया, बयान को तोड़ मरोड़ देती है। हलंाकि इससे पहले मैडम, युवराज से लेकर मंत्री संत्री और धनवन्त्री तक आरोप लगा रहे थे पर कोई भरोसा ही नहीं कर रहा था! मैं तो तभी से कहूं कि यह मीडिया होती ही है बड़ी चालांक, जिस तिस के मंुह से जो सो बयान घुंसेड़ देती है और फिर रपेट रपेट कर कहने वालों को ही रपेट देती है। फिर क्या था, बेतर्क के तर्क निकलने लगी और संसद की ही तरह हो हल्ला, बेमतलक का। वह तो शुक्र है कि मैं ने तीसरी कप चाय का ऑर्डर दे दिया वरना यहां से भगाने का दुकानदार ने पूरा मन बना लिया था। 

खैर, शर्मा जी ने भी चुस्की के साथ चुप्पी तोड़ी, भैया ई बुद्धू बक्सा बाला सब बुद्धूये बनाते रहता है, सतयुग में सरसत्ती माय कैकेयी के जिह्वा पर बैठके राम को बनवास दिला दी थी और इस भठयुग में मीडिया बाला ही सरसत्ती माय बन जिह्वा पर बैठ के अंट शंट बोलवा देता है।

अब पंडित जी भी कहां चुप रहने वाले थे, सो उन्होने भी लंबा छोड़ा- अजी मैं तो कहूं ई नाराद मुनी के जात वाला पर भरोसा नहीं करे का है। इ हम सब को बुद्धिये बनाते रहता है?

अब दूध बेचने आए जादव जी से भी नहीं रहा गया, बोल दिये- तभिए तो भैया, हमर जात गोतिया के नेता सब संसद में कह रहे थे कि ई बुद्धू बक्सा को बंद होना चाहिए...। ई अन्ना नीयर आदमी के भी तोड़-मरोड़ मंत्र से ही ऐतना बड़का गो बना दिया है। सोंचना पड़ेगा भैया।

तभी पुराने कंग्रेसिया और उजर झकझक कुर्ता पहन थाना-ब्लॉक के दलाली करने वाले युगल बाबू को भी ताव आ गया, बोले-अजी हमरे पार्टी वाला नेता सब कबे से चिल्ला रहे है कि मीडिया पर लगाम लगाओ पर कोई रस्सीये नहीं देता है। तभिये तो दिग्गी बाबू को बिलेन बना दिया, अजी उनके मुंह से जो भी निकलता है सब मीडिया मंत्र से तोड़ल मरोड़ल रहता है। समझे की नहीं?
अब मैंने भी अपना अज्ञान अलाप दिया- 
जय हो, जय हो, बुद्धू बक्सा तो बेकार में बदनाम है।
इसको बुद्धू बनाना सबसे आसान काम है।
बस तोड़ने मरोड़ने का लगाना इल्जाम है।
और चौथेखंभे का काम तमाम है।।
जय हो...।

2 टिप्‍पणियां:

  1. श्री श्री बोले हम इत्ते मूरख नही है। तो फिर कित्ते हैं?

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  2. जिम्मेदारी कहने और दिखाने वाले दोनों ही समझें...... इस फेर में जनता और देश की कोई नहीं सोचता .....

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