22 जून 2012

पेसुआ हनुमान (चुटकी)


अरूण ‘‘साथी’’

बाबा बाचाल है! जंगलराज के समय बाबा का बड़ा प्रताप था। इन्हें राजा का खासम-खास माना जाता था और प्रतापी बाबा खूब नेम-फेम कमाए। जैसे ही जंगल राज गया बाबा की बोलती बंद। ई बात बाबा बर्दास्त नहीं कर सके सो बाबा चित्त-पटांग हो गए। बाचाल बाबा भानूमति के कुनबे के नए सु...शासनी राजा के राज दरबारी बन गए। बाचाली बाबा, फटाफट बोलने लगे। हंगामा होने लगा। फिर जब बाबा ने कहा कि गठबंधन रहे कि खत्म हो, हम सेकूलर के साथ रहेगें तब किसी स्वनाम धन्य राजसी दरबारी को आकाशवाणी हुई की बाबा पोसुआ हनुमान है। जय हो। 
पोसुआ हनुमान, काफी शोध-विचार करने के बाद कल्कुलेटर से जो नतीजा निकला वह तेंतिस हजार के करंट का झटका था। हनुमान मने उ हनुमान नहीं जो राजा राम के भगत थे, हनुमान मने बंदर, उछल-कूद करे वाला। और पोसुआ मने पालतू। बड़का बात यह कि पोसुआ हनुमान को पोसना हजार हाथी रखने जैसा है। बड़ा खर्चा है। पुराने राज से जब इनका खर्च उठाया नहीं गया तो नये दरबार में है।
वैसे यह तो हमारा मतिभ्रम ही है कि कभी जंगलराज तो कभी सु....शासन के फेरा में फंस जाते है। सब माया है, बाकि सब ऐके है। मतिभ्रम नहीं होता तो जंगलराज के कई जनावर सु...शासन में दरबारी है, नाम में क्या रखा है, काहे कह दे, डर तो लगता ही है।
क्या कहा डर के आगे जीत है, लिजिए तो एक नाम और काला (श्याम) अक्षर भैंस बराबर....बाकि आप बताईए। आदत ही है आप सबकी, दूसरके के कंधा पर बंदूक रख के छोड़े के।
चर्चा तो पुराना दरबार में भी हो रही है, भले ही दरबारी नहीं थे पर भौजी तो थी, गर्मा कर बोली-साहेब आप फेरा में फंस गए, ई सब तरे मलाई खा रहा है।
साहेब कहां चुप रहते, बोल-जमाना औसने है जी, गुड़ खाए और गुलगुला से परहेज....। ससुरा हम तो गुड़ और गुलगुला दोनों से परहेज के फेरा में कलट गए।
जो हो सो की- भिसलरी वाटर और गुलाब मिलाकर नहाने वाले नेता जी टपक पड़े। चुपेचाप तमाशा देखिए, सब मिलकर इनका क्रिया करम करे में लग गया है।
धत्त तेरी के बुरबक, चोप रहिए, यहां तो करेजा पर भौंसा लोट रहा है। मैडम से जोंक नियर चिपके के फेरा में ई लगा हुआ है। ई हमरे सेकुलर वाला फंडा से चिमोकन नियर चिपके बाला है, जहां मैडम चिपका की सब गुड़ गोबर हो जाएगा।
तभी भौजी टुभुक पड़ी-साहेब, ई सेकुलर कौनो सौतनिया के नाम है, नींदों में आप बड़बड़ाते रहते है।
ई ला, अब इनकरा कैसे समझाबें, सुना- जो बहुसंख्यकों को गरिताया है और अल्पसंख्यकों को पुचकारता है, उसे सेकुलर कहते हैं।
अच्छा साहेब, तभिए सेकुलर सरकार में कसाब और अफजल गुरू ऐश कर रहल हें,, 
जय सेकुलर भगवान की,, जय हो...

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